जब किसी वाक्य में मूल क्रिया जो कि कर्ता के द्वारा कार्य होने का बोध कराती है, इसी क्रिया में थोड़ा सा परिवर्तन किया जाये और परिवर्तन के बाद कर्ता के द्वारा कार्य दूसरे से कराए जाने का बोध हो तब वह क्रिया प्रेरणात्मक या प्रेरणार्थक क्रिया बन जाती है।
टीप– कई बार जब सामान्य क्रिया के वाक्यों को प्रेरणात्मक क्रिया के रूप में परिवर्तित किया जाता है। तो प्रेरणार्थक क्रियाओं के प्रयोग में प्रायः अशुद्धियों हो जाती हैं।
हिन्दी में सामान्य क्रियाओं को दो तरह से प्रेरणार्थक क्रियाओं में बदला जा सकता है।
(अ) क्रिया के मूल रुप में मध्य या अंतिम वर्ण में 'आ' जोड़कर प्रथम प्रेरणात्मक रूप बनाया जाता है।
उदाहरण–
लिखना – लिखाना
रोना – रुलाना
करना – कराना
जीतना – जिताना
छोड़ना – छुड़ाना
पीटना – पिटाना
नाचना – नचाना
खोदना – खुदाना
खीचना – खिचाना
काटना – कटाना
पीना – पिलाना
चढ़ना – चढ़ाना
इसी तरह की अन्य सामान्य क्रियाओं से प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया बनाई जा सकती है।
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(आ) द्वितीय प्रेरणात्मक रूप बनाने हेतु मूल क्रिया के अंतिम वर्ण के तुरंत पहले 'वा' को जोड़कर बनाया जाता है।
उदाहरण–
लिखना – लिखवाना
रोना – रुलवाना
करना – करवाना
जीतना – जितवाना
छोड़ना – छुड़वाना
पीटना – पिटवाना
नाचना – नचवाना
खोदना – खुदवाना
खीचना – खिचवाना
काटना – कटवाना
पीना – पिलवाना
चढ़ना – चढ़वाना
इसी तरह की अन्य सामान्य क्रियाओं से प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया बनाई जा सकती है।
(क) सामान्य क्रिया – बच्चा दूध पीता है।
प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया – माँ बच्चे को दूध पिलाती है।
द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया– माँ आया से बच्चे को दूध पिलवाती है।
(ख) सामान्य क्रिया – मोहन पत्र लिखता है।
प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया – मोहन पत्र लिखाता है।
द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया– मोहन राम से पत्र लिखवाता है।
(ग) सामान्य क्रिया – वह पेड़ पर चढ़ता है।
प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया – वह पेड़ पर चढ़ाता है।
द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया– वह मजदूरों को पेड़ पर चढ़वाता है।
(घ) सामान्य क्रिया – चन्द्र चित्रकारी करता है।
प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया – चंद्र चित्रकारी कराता है।
द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया– चन्द्र चित्रकार से चित्रकारी करवाता है।
(ङ) सामान्य क्रिया – किसान कुआँ खोदता है।
प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया – किसान कुआँ खुदाता है।
द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया– किसान मजदूरों से कुआँ खुदवाता है।
(च) सामान्य क्रिया – मजदूर लकड़ी काटता है।
प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया – मजदूर लकड़ी कटाता है।
द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया– मजदूर अपने बेटे से लकड़ी कटवाता है।
इसी तरह अन्य क्रियाओं के दोनों रूप बनाकर वाक्यों में प्रयोग किए जा सकते हैं।
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