s
By: RF competition   Copy   Share  (499) 

प्राचीन भारत में नवीन धर्मों (जैन और बौद्ध) की उत्पत्ति के कारण

1197

प्राचीन काल में छठी शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान भारत में नवीन धर्मों की उत्पत्ति हुई। इसके अन्तर्गत जैन और बौद्ध धर्म शामिल हैं। इन धर्मों की उत्पत्ति के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं–

प्राचीन वैदिक धर्म

ऋग्वैदिक काल (1500 ई.पू. से 1000 ई.पू.) के दौरान वैदिक धर्म अत्यधिक सरल और विशुद्ध था। स्तुति पाठ तथा यज्ञ सामूहिक रूप से किये जाते थे। आगे चलकर उत्तर वैदिक काल (1000 ई.पू. से 600 ई.पू.) में वैदिक धर्म में अनेक जटिलताएँ शामिल हो गयीं। धर्म पर ब्राह्मण वर्ग का अधिकार हो गया। शुद्ध एवं सरल धर्म का स्थान जटिल तथा निरर्थक कर्मकाण्डों ने ले लिया।

इतिहास के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
सिकन्दर कौन था? | प्राचीन भारत पर सिकन्दर के आक्रमण

कठिन संस्कृत भाषा

वैदिक काल के ग्रन्थों की भाषा कठिन संस्कृत थी। समस्त वैदिक ग्रन्थों की रचना इसी कठिन संस्कृत भाषा में की गई थी। इस भाषा को पवित्र भाषा माना जाता था। चूँकि संस्कृत कठिन थी, अतः सभी लोग सरलता से इस भाषा का प्रयोग नहीं कर पाते थे। फलस्वरुप छठी शताब्दी ई.पू. के काल तक यह भाषा केवल विद्वानों की भाषा बनकर रह गई। सामान्य लोगों ने इस भाषा के प्रयोग को त्याग दिया। इससे समाज में धार्मिक कर्मकाण्डों को प्रोत्साहन प्राप्त हुआ।

इतिहास के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
प्राचीन ईरानी (हखामनी) साम्राज्य के प्रमुख शासक– साइरस, केम्बिसीज, डेरियस, ज़रक्सीज, अर्तज़रक्सीज

जाति प्रथा

ऋग्वैदिक काल में व्यवसाय के आधार पर वर्ण व्यवस्था की गई थी। इसके अन्तर्गत व्यक्ति की योग्यता और उसके व्यवसाय के आधार पर उसकी जाति निर्धारित की जाती थी। उत्तर वैदिक काल में वर्णव्यवस्था जन्म पर आधारित हो गई। यह व्यवस्था कठोर जाति व्यवस्था में परिवर्तित हो गई। छठी शताब्दी ई.पू. के समय तक वर्ण व्यवस्था ने कठोर रूप ले लिया था।

इतिहास के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
भारत पर आक्रमण करने वाला पहला विदेशी देश– ईरान

राजनीतिक परिस्थितियाँ

छठी शताब्दी ई.पू. के काल की राजनीतिक परिस्थितियाँ नवीन धर्मों की उत्पत्ति के अनुकूल थीं। भारत में मगध सर्वाधिक शक्तिशाली राज्य था। इसके शासक बिम्बिसार व अजातशत्रु ब्राह्मणों के प्रभाव से मुक्त थे। वे वैदिक कर्मकाण्डों को विशेष महत्व नहीं देते थे। अतः उन्होंने नवीन धर्मों की उत्पत्ति को प्रोत्साहित किया।

इतिहास के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
मगध साम्राज्य के राजा– शिशुनाग और कालाशोक

कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था

लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान भारत में लोहे का प्रयोग प्रारम्भ हो गया था। लोहे के हथियारों से जंगलों की कटाई करके कृषियोग्य भूमि का विस्तार किया गया। फलस्वरुप बड़ी संख्या में लोग कृषि करने लगे। अतः कृषि से सम्बन्धित क्रियाओं को सम्पन्न करने के लिए पशुधन (बैलों) की माँग में वृद्धि हुई। परिणामस्वरुप वैदिक धर्म से सम्बन्धित कर्मकाण्डों में दी जाने वाली पशुबलि का विरोध किया गया।

इतिहास के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
प्राचीन भारत के गणतंत्र क्या थे? | महात्मा बुद्ध के समय के 10 गणतंत्र

वैश्य वर्ग की शक्ति में वृद्धि

छठी शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान बड़ी संख्या में लोग कृषि करने लगे थे। इससे उत्पादन में बहुत वृद्धि हुई। फलस्वरुप व्यापार और वाणिज्य को प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। इससे समाज में वैश्य वर्ग के महत्त्व में वृद्धि हुई। वैश्य वर्ग ने समाज में अपनी स्थिति को सुधारने हेतु तथा व्यापार व वाणिज्य के विस्तार के लिये वैदिक धर्म की प्रथाओं का विरोध किया। ऐसा इसलिए किया क्योंकि वैदिक धर्म में ऋण पर ब्याज लेना पाप माना जाता था। अतः वैश्य वर्ग ने नवीन धर्मों के उत्पत्ति को प्रोत्साहित किया।

इतिहास के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. सिन्धु घाटी सभ्यता और वैदिक सभ्यता में अन्तर
2. गाय को सबसे पवित्र पशु क्यों माना जाता है?
3. वैदिक काल के देवी एवं देवता– इन्द्र, अग्नि, वरूण, सवितृ, सोम, धौस, सरस्वती, पूषन, रूद्र, अरण्यानी
4. वर्णाश्रम व्यवस्था क्या थी? | ब्राह्मण, क्षत्रिय वैश्य, शूद्र
5. प्राचीन भारत के 16 महाजनपद कौन-कौन से थे?



I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfcompetiton.com

Comments

POST YOUR COMMENT

Categories

Subcribe