s
By: RF competition   Copy   Share  (48) 

व्यंजन एवं विसर्ग संधि | व्यंजन एवं संधि निर्माण के नियम | Vyanjan and Visarg sandhi ke niyam

5696

स्वर, व्यंजन एवं विसर्ग संधि–

"दो स्वरों के आपस में मिलने से स्वर संधि, दो व्यंजनों अथवा व्यंजन-स्वर के परस्पर मिलने से व्यंजन संधि तथा विसर्ग का स्वर या व्यंजन से मेल होने पर विसर्ग संधि होती है।"
स्वर संधि के बारे में पढ़ने के लिए नीचे 👇 दी गई लिंक पर क्लिक करें।

संधि - स्वर संधि के प्रकार - दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण और अयादि

व्यंजन संधि

दो व्यंजनों अथवा व्यंजन-स्वर के परस्पर मिलने से व्यंजन संधि होती है।
व्यंजन ध्वनि के निकट स्वर या व्यंजन आने से व्यंजन में जो परिवर्तन होता है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं।
उदाहरण–
उत् + नति = उन्नति
सत् + जन = सज्जन

व्यंजन संधि को बेहतर ढंग से समझने के लिए निम्नलिखित वाक्यों को ध्यान से पढ़े–
(अ) सिनेमा खेती की उन्नति का एक अच्छा साधन है।
(ब) अच्छे संकल्प की सिद्धि में समय लगता है।
(स) संतोष और संयम सज्जन व्यक्ति के गुण हैं।

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. समास के प्रकार, समास और संधि में अन्तर
2. संधि - स्वर संधि के प्रकार - दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण और अयादि
3. वाक्य – अर्थ की दृष्टि से वाक्य के प्रकार

उपरोक्त वाक्यों में आए 'उन्नति', 'संकल्प', 'संतोष', 'संयम' और 'सज्जन' भाषायी दृष्टि से व्यंजन संधि के अंतर्गत आते हैं। क्योंकि –
'उन्नति' शब्द में व्यंजन से व्यंजन वर्ण का मेल हो रहा है–
उन्नति = उत् + नति = त् + न का 'न्न' में परिवर्तन होता है।
इसी तरह–
सज्जन = सत् + जन = त् + ज का 'ज्ज' में परिवर्तन होता है।
अतः निश्चित ही यह संधि, व्यंजनों के मेल से उत्पन्न परिवर्तन को बता रही है। जितने भी शब्द हैं उनके संधि होने की स्थिति में प्रथम वर्ण व्यंजन होता है।
जैसे - सत् + भावना = सद्भावना
जगत् + नाथ = जगन्नाथ

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. 'ज' का अर्थ, द्विज का अर्थ
2. भिज्ञ और अभिज्ञ में अन्तर
3. किन्तु और परन्तु में अन्तर
4. आरंभ और प्रारंभ में अन्तर
5. सन्सार, सन्मेलन जैसे शब्द शुद्ध नहीं हैं क्यों
6. उपमेय, उपमान, साधारण धर्म, वाचक शब्द क्या है.
7. 'र' के विभिन्न रूप- रकार, ऋकार, रेफ
8. सर्वनाम और उसके प्रकार

व्यंजन संधि में परिवर्तन के नियम–

(1) वर्ग के प्रथम वर्ण का तृतीय वर्ण में परिवर्तन–
जैसे- जगत् + ईश = जगदीश
(2) वर्ग के प्रथम वर्ण का पंचमवर्ण में परिवर्तन– वाक् + मय = वाडमय
(इसमें क, च, ट, त, प, के बाद 'न' या 'म' होने पर प्रथम वर्ण का रूपान्तरण पंचम वर्ण में हो जाता है। उदाहरण– 'क' का 'ङ')
(3) 'त्' सम्बन्धी विशेष नियम– 'त' या 'द' के बाद 'च' या 'छ' हो तो 'त' या 'द' के स्थान पर 'च' हो जाता है।
यथा– उत् + चारण = उच्चारण
(4) 'त' या 'द' के बाद 'ज' या 'झ' हो तो 'त' या 'द' के स्थान पर 'ज' हो जाता है।
जैसे– सत् + जन = सज्जन।
(5) 'म् के बाद वर्ग का प्रथम वर्ण हो तो 'म्' के बदले विकल्प से अनुस्वार या उसी वर्ग का अनुनासिक वर्ण हो जाता है।
यथा– सम् + कल्प = संकल्प
सम् + तोष = संतोष
(6) यदि किसी के पहले 'स' के पूर्व 'अ', 'आ' को छोड़कर अन्य कोई स्वर आता है तो 'स' के स्थान पर 'ष' हो जाता है।
जैसे– अभि + सेक = अभिषेक
टीप– निम्नाकिंत शब्द को अलग-अलग कर पढ़ने पर वर्णों के मेल का चमत्कार दिखाई देता है।
दु: + आत्मा = : + आ = रा = दुरात्मा

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. शब्द क्या है- तत्सम एवं तद्भव शब्द
2. देशज, विदेशी एवं संकर शब्द
3. रूढ़, योगरूढ़ एवं यौगिकशब्द
4. लाक्षणिक एवं व्यंग्यार्थक शब्द
5. एकार्थक शब्द किसे कहते हैं ? इनकी सूची
6. अनेकार्थी शब्द क्या होते हैं उनकी सूची
7. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द (समग्र शब्द) क्या है उदाहरण
8. पर्यायवाची शब्द सूक्ष्म अन्तर एवं सूची
9. शब्द– तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी, रुढ़, यौगिक, योगरूढ़, अनेकार्थी, शब्द समूह के लिए एक शब्द
10. हिन्दी शब्द- पूर्ण पुनरुक्त शब्द, अपूर्ण पुनरुक्त शब्द, प्रतिध्वन्यात्मक शब्द, भिन्नार्थक शब्द

विसर्ग संधि–

विसर्ग (:) के पश्चात स्वर अथवा व्यंजन आने पर विसर्ग में जो विकार उत्पन्न होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं।
उदाहरण–
सर: +वर = सरोवर
दुः + गुण = दुर्गुण
निः + प्राण = निष्प्राण
प्रातः + काल = प्रातःकाल

विसर्ग संधि के नियम–

नियम 1– यदि 'अ' के बाद विसर्ग हो और आगे वर्गों के तृतीय, चतुर्थ, पंचम वर्ण अथवा य, र, ल, व, ह में से कोई हो तो विसर्ग का 'ओ' हो जाता है।
उदाहरण–
विसर्ग का 'ओ' में परिवर्तन–
यशः + गान = यशोगान
मनः + ज = मनोज
मनः + हर = मनोहर
सर: +वर = सरोवर
पुरः + हित = पुरोहित
उक्त उदाहरणों में विसर्ग के बाद 'ग', 'ज', 'ह' 'व' 'ह' आया है अतः विसर्ग 'ओ' में परिवर्तित हो गया है।

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. लिपियों की जानकारी
2. शब्द क्या है
3. लोकोक्तियाँ और मुहावरे
4. रस के प्रकार और इसके अंग
5. छंद के प्रकार– मात्रिक छंद, वर्णिक छंद
6. विराम चिह्न और उनके उपयोग
7. अलंकार और इसके प्रकार

नियम 2– यदि विसर्ग के पूर्व 'अ','आ' को छोड़कर कोई अन्य स्वर आए और बाद में किसी वर्ग का तृतीय, चतुर्थ, पंचम वर्ण अथवा 'य', 'ल', 'व', 'द' वर्ण आएँ तो विसर्ग के स्थान पर 'र' हो जाता है।
उदाहरण–
निः + आशा = निराशा
निः +धन = निर्धन
दुः + गुण = दुर्गुण
निः + मल = निर्मल
दुः+ आत्मा = दुरात्मा
दुः + घटना = दुर्घटना
उक्त उदाहरणों में हमने देखा जब विसर्ग के पूर्व 'इ', 'उ' आया है और विसर्ग के बाद 'आ', 'ग', 'म', 'घ', वर्ण आए हैं, तब विसर्ग के स्थान पर 'र' होता है।

नियम 3 – शब्द में विसर्ग के बाद 'च', अथवा 'छ' आने पर विसर्ग का 'श' होता है।
जैसे– निः+ चल = निश्चल
दु: + चरित्र = दुश्चरित्र
निः + छल = निश्छल
निः + चय = निश्चय
उपर्युक्त उदाहरणों में विसर्ग के बाद 'च', अथवा 'छ' आने पर विसर्ग का 'श' हो गया है।

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. व्याकरण क्या है
2. वर्ण क्या हैं वर्णोंकी संख्या
3. वर्ण और अक्षर में अन्तर
4. स्वर के प्रकार
5. व्यंजनों के प्रकार-अयोगवाह एवं द्विगुण व्यंजन
6. व्यंजनों का वर्गीकरण
7. अंग्रेजी वर्णमाला की सूक्ष्म जानकारी

नियम 4 – शबद में विसर्ग के बाद 'प', 'फ' अथवा 'क', 'ख' आने पर विसर्ग के स्थान पर 'ष' हो जाता है।
उदाहरण–
निः + प्राण = निष्प्राण
निः + कपट = निष्कपट
उपर्युक्त उदाहरण में विसर्ग के बाद 'प', 'फ' अथवा 'क', 'ख' आने पर विसर्ग के स्थान पर 'ष' हो गया है।

नियम 5 – शब्द में विसर्ग के बाद 'क', 'त', 'स' आने पर विसर्ग के स्थान पर 'स्' हो जाता है।
उदाहरण–
नमः + कार = नमस्कार
निः + तार = निस्सार
निः + सार = निस्तार
नमः + ते = नमस्ते
हमने देखा कि विसर्ग के बाद क, त, स आने पर विसर्ग के स्थान पर सू हो गया है।

नियम 6 – कुछ शब्दों के साथ विसर्ग में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
जैसे- अंतः + करण = अंत:करण
पयः + पान = पयःपान
प्रातः + काल = प्रातःकाल
अध: + पतन = अधःपतन

इन प्रकरणों 👇 को भी पढ़ें।
1. हिंदी गद्य साहित्य की विधाएँ
2. हिंदी गद्य साहित्य की गौण (लघु) विधाएँ
3. हिन्दी साहित्य का इतिहास चार काल
4. काव्य के प्रकार
5. कवि परिचय हिन्दी साहित्य
6. हिन्दी के लेखकोंका परिचय
7. हिंदी भाषा के उपन्यास सम्राट - मुंशी प्रेमचंद

आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com



I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfcompetiton.com

Watch video for related information
(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)
Comments

POST YOUR COMMENT

Categories

Subcribe