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मगध का नन्द वंश– महापद्मनन्द, धनानन्द

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नन्द वंश का संस्थापक महापद्मनन्द था। उसके आठ पुत्र थे। महापद्मनन्द और उसके आठ पुत्रों ने लगभग 344 ईसा पूर्व से 324-25 ईसा पूर्व तक शासन किया। इन शासकों ने लगभग 21 वर्षों तक शासन किया। इसके पश्चात् इनके वंश का अन्त हो गया।

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महापद्मनन्द

महापद्मनन्द ने मगध पर नन्द वंश की नींव रखी थी। पुराणों के अनुसार वह एक शूद्र था। इन पुराणों में उसे 'सर्वक्षत्रांतक' अर्थात् 'समस्त क्षत्रियों का विनाश करने वाला' तथा 'भार्गव' अर्थात् 'दूसरे परशुराम का अवतार' कहा गया है। महापद्‌मनन्द ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की तथा 'एकराट' एवं 'एकक्षत्र' जैसी उपाधियाँ धारण की। महापद्मनन्द के आठ पुत्र थे। धनानन्द भी उसका पुत्र था। धनानन्द नन्द वंश का अन्तिम शासक था।

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धनानन्द

धनानन्द नन्द वंश का अंतिम शासक था। वह सिकन्दर का समकालीन था। उसके शासनकाल के दौरान 326 ईसा पूर्व को भारत की पश्चिमोत्तर सीमा पर सिकन्दर ने आक्रमण किया था। यूनानी (ग्रीक) लेखकों ने धनानन्द को 'अग्रमीज' कहा था। धनानन्द ने मगध की प्रजा पर बहुत से कर लगाये थे। इस कारण जनता उससे असन्तुष्ट थी। तक्षशिला के आचार्य चाणक्य धनानन्द के राजदरबार में आये थे। धनानन्द ने उनका अपमान किया था। लगभग 323 ईसा पूर्व के दौरान चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरू चाणक्य की सहायता से धनानन्द को पदच्युत कर दिया और मगध पर एक नए वंश मौर्य वंश की नींव रखी। मौर्य शासकों के शासनकाल के दौरान मगध अपने चर्मोत्कर्ष पर पहुँच गया।

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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfcompetiton.com

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