निजवाचक सर्वनाम का रूप 'आप' है। यदि किसी वाक्य में 'आप' कर्ता के रूप में आये तो, वहाँ वह पुरुषवाचक सर्वनाम होता है। कुछ वाक्यों में 'आप' इस प्रकार आता है, कि वह (आप शब्द) स्वयं कार्य नहीं करता। इन वाक्यों में वह कुछ संकेत करता है। इन वाक्यों में 'आप' निजवाचक सर्वनाम होता है।
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पुरूषवाचक सर्वनाम – उत्तमपुरूष, मध्यमपुरूष और अन्यपुरूष
निजवाचक सर्वनाम के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं–
1. "यह कार्य उसने अपने-आप पूरा किया है।" इस वाक्य में 'आप' निजवाचक सर्वनाम है। यहाँ पर 'आप' शब्द अन्यपुरुष है। यह (आप) कर्ता का बोध कराता है, किन्तु स्वयं कर्ता का कार्य नहीं करता।
2. "आप भला तो संसार भला।" इस वाक्य में भी 'आप' निजवाचक सर्वनाम है।
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सर्वनाम क्या है? | संज्ञा और सर्वनाम में अन्तर || सर्वनाम के प्रकार
निजवाचक सर्वनाम 'आप' का वाक्यों में प्रयोग निम्नलिखित अर्थों में किया जाता है–
1. 'आप' शब्द का प्रयोग किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम के निश्चय के लिए किया जाता है। जैसे– मैं अपने आप चला जाऊँगा। इस वाक्य में 'आप' निजवाचक सर्वनाम है।
2. 'आप' शब्द का प्रयोग दूसरे व्यक्ति के निराकरण के लिए किया जाता है। जैसे– वह दूसरों का नहीं अपने आपका बुरा कर रहा है। इस वाक्य में 'आप' निजवाचक सर्वनाम है।
3. सर्वसाधारण के अर्थ में भी 'आप' शब्द का प्रयोग किया जाता है। जैसे– आप भला, तो संसार भला। इस वाक्य में 'आप' निजवाचक सर्वनाम है।
4. अवधारणा के अर्थ में भी कभी-कभी 'आप' का प्रयोग किया जाता है। जैसे– यह कार्य अपने आप ही हो गया। इस वाक्य में 'आप' निजवाचक सर्वनाम है।
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संज्ञा से सर्वनाम, विशेषण और क्रिया कैसे बनते हैं?
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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
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