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वास्तुकला की राजपूत शैली व शिख शैली तथा अवध वास्तुकला | Rajput Style and Sikh Style of Architecture and Awadh Architecture

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मुगल काल के दौरान राजपूत शैली का विकास राजिस्थान और शिख शैली का विकास पंजाब में हुआ। ये दोनों ही शैलियाँ भारतवर्ष की प्राचीन एवं हिन्दु संस्कृति से संबद्ध हैं। अवध वास्तुकला का विकास लखनऊ में हुआ। इस वास्तुकला शैली ने कला के अन्य स्वरुपों के साथ-साथ मुगल परंपरा को भी जारी रखा।

During the Mughal period Rajput style developed in Rajasthan and Sikh style developed in Punjab. Both these styles are related to the ancient and Hindu culture of India. The development of Awadh architecture took place in Lucknow. This architectural style continued the Mughal tradition along with other forms of art.

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मुगल काल के दौरान राजिस्थान और पंजाब क्षेत्र में वास्तुकला की दो शैलियाँ विकसित हुईं-
1. राजपूत शैली
2. शिख शैली

During the Mughal period, Rajasthan and Punjab region developed two styles of architecture-
1. Rajput Style
2. crest style

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राजपूत शैली- मध्यकाल की अवधि के राजपूत निर्माण भी मुगल शैली से प्रभावित थे। किन्तु ये अपने आकार एवं क्षेत्र में अद्वितीय थे। राजपूतों ने मुख्य रूप से भव्य महलों और किलों का निर्माण करवाया था। जयपुर में स्थित 'हवामहल' राजपूत वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।

Rajput style- Rajput constructions of the medieval period were also influenced by the Mughal style. But they were unique in their size and area. The Rajputs mainly built grand palaces and forts. 'Hawa Mahal' located in Jaipur is a classic example of Rajput architecture.

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इन राजपूत निर्माणों से संबद्ध राजपूत वास्तुकला की कुछ अनूठी विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
1. राजपूतों ने लटकती हुई बालकनी (झरोखा) की अवधारणा प्रचलित की। ये निर्माण आकार एवं आकृतियों में अद्वितीय थे।
2. कार्निस को मेहराब के आकार में इस प्रकार बनाया गया था कि छाया धनुषाकार बन जाती थी।

Some of the unique features of Rajput architecture associated with these Rajput constructions are as follows-
1. Rajputs introduced the concept of hanging balcony (jharokha). These constructions were unique in size and shape.
2. The cornices were made in the shape of an arch in such a way that the shadow became arched.

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शिख शैली- वास्तुकला की शिख शैली का विकास आधुनिक पंजाब क्षेत्र में हुआ था। यह शैली वास्तुकला की मुगल शैली और राजपूत फौली से प्रभावित थी।

Shikh style- The Shikh style of architecture was developed in the modern Punjab region. This style was influenced by the Mughal style of architecture and the Rajput fauli.

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शिख शैली की कुछ अनोखी विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
1. इस शैली में निर्माण के शीर्ष पर विभिन्न छतरियाँ बनायी जाती थीं।
2. उथले कार्निस और गुंबद प्याज के आकार के बनाये जाते थे।
3. गुंबद के शीर्ष नुकीले (लंबे) धारीदार बनाये जाते थे। गुंबदों पर अलंकरण और सहारे के लिए ताँबे और पीतल की परत चढ़ायी जाती थी।
4. मेहराबों पर अलंकरण के लिये अनेकानेक पत्रकों का उपयोग किया जाता था।

Some of the unique features of Sikh style are as follows-
1. Various chhatris were made on the top of the building in this style.
2. Shallow cornices and domes were made in the shape of onions.
3. The top of the dome was made with pointed (long) strips. The domes were covered with copper and brass for ornamentation and support.
4. Various leaflets were used for ornamentation on the arches.

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उदाहरण- हरमंदिर साहब या स्वर्ण मंदिर, अमृतसर (पंजाब) शिख वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसे 16वीं-17वीं शताब्दी के दौरान बनवाया गया था।

Examples- Harmandir Sahib or Golden Temple, Amritsar (Punjab) is a classic example of Sikh architecture. It was built during 16th-17th century.

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अवध वास्तुकला- यह वास्तुकला मुख्य रूप से लखनऊ केंद्रित है। इस शैली की संरचनाओं का निर्माण 18वीं-19वीं शताब्दी के दौरान अवध के नवाबों द्वारा करवाया गया था। इन निर्माणों में विविध सामग्रियों और नवीन विचारों के साथ-साथ मुगल परंपरा को भी जीवत रखा गया है। इस वास्तुकला में धार्मिक के साथ-साथ धर्म निरपेक्ष संरचनाओं का भी निर्माण किया गया है। इन भवनों के निर्माण कार्यों में Mortar अर्थात् गारे (संगमरमर या बलुआ पत्थर नहीं) का प्रयोग किया गया है। इस गारे में ईंट की धूल, उड़द की दाल, चावल की भूसी और पेड़ की गोंद के मिश्रण का प्रयोग किया जाता था।

Awadh Architecture- This architecture is mainly Lucknow centric. Structures of this style were built by the Nawabs of Awadh during the 18th–19th centuries. The Mughal tradition has been kept alive in these constructions along with diverse materials and innovative ideas. In this architecture, religious as well as secular structures have been built. Mortar means mortar (not marble or sandstone) has been used in the construction of these buildings. A mixture of brick dust, urad dal, rice bran and tree gum was used in this solution.

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लखनऊ केंद्रित अवध वास्तुकला के महत्वपूर्ण वास्तुशिल्प निम्नलिखित हैं-
1. बड़ा इमामबाड़ा
2. छोटा इमामबाड़ा
3. रुमी दरवाजा (तुर्की गेट)

The following are the important architectural features of Lucknow-centric Awadh architecture-
1. Bara Imambara
2. Chhota Imambara
3. Rumi Darwaza (Turkish Gate)

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बड़ा इमामबाड़ा- इसका निर्माण सन् 1784 ई. में किया गया था। इस परिसर में अस्फी मस्जिद, भुल-भुलैया और सीढ़ियों वाला कुआँ जैसे महत्वपूर्ण निर्माण हैं।

Bara Imambara- It was constructed in the year 1784 AD. The complex has important constructions such as the Asfi Masjid, the maze and the step well.

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छोटा इमामबाड़ा- इसका निर्माण सन् 1838 ई. में किया गया था। यह अवध के नवाब मुहम्मद अली शाह और उनकी माँ का मकबरा है।

Chhota Imambara- It was constructed in the year 1838 AD. This is the tomb of Muhammad Ali Shah, the Nawab of Awadh and his mother.

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रूमी दरवाजा (तुर्की मेट)- इसका सन् 1784 ई. में करवाया गया था। यह बड़े इमामबाड़े और छोटे इमामबाड़े के मध्य स्थित है। माना जाता है कि इस वास्तुशिल्प का नाम सूफी फकीर जलाल-उद्-दीन मुहम्मद रुमी के नाम पर रखा गया है।

Rumi Darwaza (Turkish Met)- It was built in the year 1784 AD. It is situated between the Bada Imambara and the Chota Imambara. The architecture is believed to have been named after Sufi mystic Jalal-ud-din Muhammad Rumi.

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आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com



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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
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