s
By: RF competition   Copy   Share  (108) 

भारतीय कला- बंगाल शैली, जौनपुर शैली, मालवा शैली और बीजापुर शैली | Bengal style, Jaunpur style, Malwa style and Bijapur style

2900

मध्यकाल की अवधि के दौरान इंडो-इस्लामी शैली ने वास्तुकला की प्रांतीय शैलियों को भी प्रभावित किया। बंगाल, बीजापुर, जौनपुर और मांडू वास्तुकला के विकास के महत्वपूर्ण केन्द्र बन गए। इस अवधि की महत्वपूर्ण शैलियाँ निम्नलिखित हैं-
1. बंगाल शैली
2. जौनपुर शैली
3. मालवा शैली
4. बीजापुर शैली

The Indo-Islamic style also influenced the provincial styles of architecture during this period. Bengal, Bijapur, Jaunpur and Mandu became important centers of development of architecture. Following are the important styles of this period-
1. Bengal Style
2. Jaunpur Style
3. Malwa Style
4. Bijapur Style

"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. भगवान शिव और विष्णु को समर्पित भारत के हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण मंदिर– Part-1
2. पार्ट- 2. भगवान शिव और विष्णु को समर्पित भारत के हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण मंदिर
3. भारत से बाहर विदेशों में स्थित प्रमुख मंदिर
4. भारतवर्ष के महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थस्थल
5. भारत के महत्वपूर्ण जैन तीर्थस्थल
6. मध्यकालीन भारत में वास्तुकला- इंडो इस्लामिक (भारतीय-अरबी) शैली
7. दिल्ली सल्तनत काल के दौरान वास्तुकला साम्राज्यिक शैली

बंगाल शैली (1203-1573 ईसवी)- वास्तुकला की बंगाल शैली की प्रमुख विशेषता भवनो के निर्माण में ईंटों और काले संगमरमर का प्रयोग है। मस्जिदों में ढलुआ 'बंग्ला छतों' का उपयोग जारी रहा। यह पहले मंदिरों और मठों की छतें हुआ करती थीं।

Bengal style (1203-1573 AD)- The main feature of Bengal style of architecture is the use of bricks and black marble in the construction of buildings. The use of sloping 'Bungla roofs' in mosques continued. It used to be the roofs of temples and monasteries.

"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. दक्षिण भारत की द्रविड़ शैली एवं चोल वास्तुकला व मूर्तिकला (नटराज की मूर्ति)
2. दक्षिण भारत की वास्तुकला- नायक, वेसर, विजयनगर (बादामी गुफा मंदिर) और होयसाल शैली
3. बंगाल की वास्तुकला- पाल एवं सेन शैली
4. प्राचीन भारत के प्रमुख विश्वविद्यालय- तक्षशिला, नालंदा, कांचीपुरम
5. भगवान शिव को समर्पित भारत के 12 ज्योतिर्लिंग

जौनपुर शैली (1494-1579 ईसवी)- शर्की शासकों के संरक्षण में जौनपुर कला एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का महान केन्द्र बन गया था। इस शैली को वास्तुकला की शर्की शैली के नाम से भी जाना जाता है। पठान शैली की तरह इस शैली में भी मीनारों के उपयोग से बचा गया था। इस शैली की एक अनूठी विशेषता है कि प्रार्थना हॉल के केन्द्र और बगल के खण्डों में बड़ी स्क्रीनों पर चित्रित मोटे और सशक्त अक्षरों का प्रयोग किया गया है।
उदाहरण- जौनपुर स्थित अटाला मस्जिद आदि।

Jaunpur style (1494-1579 AD)- Under the patronage of Sharqi rulers, Jaunpur became a great center of art and cultural activities. This style is also known as Sharqi style of architecture. The use of minarets was avoided in this style as in the Pathan style. A unique feature of this style is the use of bold and strong letters painted on large screens in the center and side sections of the prayer hall.
Example- Atala Masjid in Jaunpur etc.

"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. गुप्त कालीन वास्तुकला- गुफाएँ, चित्रकारी, स्तूप और मूर्तियाँ
2. गुप्त काल में मंदिर वास्तुकला के विकास के चरण
3. प्राचीन भारत में मंदिर वास्तुकला की प्रमुख शैलियाँ
4. उत्तर भारत की वास्तुकला की नागर शैली- ओडिशा, खजुराहो और सोलंकी शैली
5. दक्षिण भारत की वास्तुकला- महाबलीपुरम की वास्तुकला

मालवा शैली (1405-1569 ईसवी)- मालवा के पठार में स्थित धार एवं मांडू के नगर वास्तुकला के विकास के महत्वपूर्ण केन्द्र बन गए। यहाँ के भवनों की प्रमुख विशेषता विभिन्न रंगों के प्रस्तरों और संगमरमरों का प्रयोग थी। भवनों में विशालकाय खिड़कियों का प्रयोग किया गया था। यह शायद यूरोपीय प्रभाव का परिणाम था। इसके अतिरिक्त इस अवधि में निर्मित भवनों को मेहराबों एवं स्तंभों के शैलीकृत प्रयोग से अलंकृत किया गया है। इस अवधि में सीढ़ियों का प्रयोग भवनों के सौन्दर्यबोध में वृद्धि करने के लिए किया जाता था। हालाँकि इस शैली के निर्माण कार्यों में मीनारों का प्रयोग नहीं किया गया था।

Malwa style (1405-1569 AD)- The cities of Dhar and Mandu situated in the Malwa plateau became important centers of development of architecture. The main feature of the buildings here was the use of different colored stones and marbles. Giant windows were used in the buildings. This was probably a result of European influence. Apart from this, the buildings built in this period have been decorated with the stylized use of arches and pillars. In this period, stairs were used to enhance the aesthetics of buildings. However, minarets were not used in the construction works of this style.

"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. मौर्योत्तर कालीन मूर्तिकला- गांधार, मथुरा और अमरावती शैली
2. मूर्तिकला शैली - गांधार, मथुरा तथा अमरावती शैलियों में अंतर
3. यूनानी कला एवं रोमन मूर्ति-कला
4. शरीर की विभिन्न मुद्राएँ - महात्मा बुद्ध से संबंधित
5. हिन्दू मंदिरों के महत्वपूर्ण अवयव- गर्भगृह, मंडप, शिखर, वाहन

वास्तुकला की पठान शैली के रुप में ज्ञात मालवा शैली निम्नलिखित विशेषताओं के चलते इस अवधि के पर्यावरण अनुकूलन के सर्वश्रेष्ठ नमूनों में से एक है-
1. भवनों में विशालकाय खिड़कियों का प्रयोग, किया गया था। ये भवनों एवं कक्षों को हवादार बनाये रखने में सहायक है।
2. भवनों के मंडप थोड़े धनुषाकार होते थे। ये मंडप को हवादार बनाये रखते थे। इन भवनों में गर्मियों के दिनों में भी शीतलता रहती थी।
3. भवनों के परिसर में 'बावली' के रूप में ज्ञात कृत्रिम जलाशयों का निर्माण किया जाता था। ये परिसर को शीतल बनाये रखते थे।
4. निर्माण कार्यों के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्रियों का प्रयोग किया जाता था।
5. तुगलकों द्वारा प्रचलित बैटर तकनीक का प्रयोग इस अवधि में भवनों को मजबूती प्रदान करने के लिए किया जाता था।
उदाहरण- मांडू स्थित रानी रूपमती का महल, मांडू स्थित हिंडोला महल, अशरफी महल आदि।

Malwa style, known as the Pathan style of architecture, is one of the best examples of environmental adaptation of this period due to the following characteristics-
1. Large windows were used in buildings. It is helpful in keeping buildings and rooms ventilated.
2. The pavilions of the buildings were slightly arched. They kept the pavilion airy. There was coolness in these buildings even during the summer days.
3. Artificial reservoirs known as 'Baoli' were constructed in the premises of the buildings. They kept the premises cool.
4. Locally available materials were used for the construction works.
5. Batter technique prevalent by the Tughlaqs was used to strengthen the buildings during this period.
Example- Rani Roopmati's palace in Mandu, Hindola palace in Mandu, Ashrafi palace etc.

"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. मौर्य कला एवं स्थापत्य कला
2.मौर्य काल की दरबारी कला
3. मौर्य काल की लोकप्रिय कला
4. मौर्योत्तर कालीन कला की जानकारी
5. मौर्योत्तर काल की स्थापत्य कला- गुफाएँ एवं स्तूप

बीजापुर शैली (1490-1656 ईसवी)- आदिलशाह के संरक्षण में वास्तुकला की बीजापुर शैली या दक्कन शैली का विकास हुआ। उसने अनेक मस्जिदों, मकबरों और महलों का निर्माण करवाया था। इस अवधि के भवनों की प्रमुख विशेषता तीन मेहराबों वाले अग्रभाग और बल्बनुमा गुंबदों का प्रयोग थी। ये गोल और संकरी गर्दन वाले थे। आदिलशाह ने कार्निस के उपयोग का प्रचलन किया। इस अवधि के निर्माण कार्यों की प्रमुख विशेषता छतों का व्यवहार थीं। छतें बिना किसी स्पष्ट सहारे के टिकी हुई थीं। लोहे के क्लैम्पों और गारे के मजबूत प्लास्टर का प्रयोग भवनों की ईंटों की जुड़ाई के लिए किया जाता था। भवनों की दीवारों पर समृद्ध नक्काशी की जाती थी।
उदाहरण- बीजापुर का गोल गुम्बद या आदिलशाह का मकबरा आदि।

Bijapur style (1490-1656 AD)- Bijapur style of architecture or Deccan style developed under the patronage of Adilshah. He built many mosques, tombs and palaces. The main feature of buildings of this period was the use of three-arched façade and bulbous domes. They were round and had narrow necks. Adilshah practiced the use of cornices. The main feature of the construction works of this period was the behavior of the roofs. The roofs rested without any obvious support. Iron clamps and strong mortar plaster were used for bonding the bricks of the buildings. Rich carvings were done on the walls of the buildings.
Example- Gol Gumb of Bijapur or Tomb of Adilshah etc.

"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. भारत की वास्तुकला, मूर्तिकला एवं मृद्भाण्ड
2. हड़प्पा सभ्यता के स्थल एवं उनसे प्राप्त वास्तुकला एवं मूर्तिकला के उदाहरण
3. हड़प्पा सभ्यता की वास्तुकला
4. हड़प्पा सभ्यता की मोहरें
5. हड़प्पा सभ्यता की मूर्ति कला
6. हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त मृद्भाण्ड एवं आभूषण

Whispering Gallery- इसकी एक अनूठी विशेषता यह है कि गैलरी के एक खण्ड में फुस्फुसाहट की आवाज में बोलने पर, गैलरी के दूसरे खण्ड में भी स्पष्ट आवाज सुनाई देती है।
उदाहरण- 1. बीजापुर का गोल गुम्बज
2. कोलकाता स्थित विक्टोरिया मेमोरियल
3. पटना का गोलघर अन्नभण्डार आदि।

Whispering Gallery- Its unique feature is that when speaking in a whisper voice in one section of the gallery, a clear voice is heard in the other section of the gallery as well.
Example- 1. Gol Gumbaz of Bijapur
2. Victoria Memorial in Kolkata
3. Patna's Golghar granary etc.

इन 👇एतिहासिक महत्वपूर्ण प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. विश्व की प्रथम चार सभ्यताएँ- मेसोपोटामिया, मिस्र, सिंधु, और चीनी सभ्यता
2. भारत का इतिहास- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के पुरातात्विक स्रोत।
3. भारत का इतिहास- प्राचीन भारतीय इतिहास जानने के साहित्यिक स्त्रोत- वेद
4. भारत का इतिहास- सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थल
5. सिन्धु सभ्यता में जीवन

आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com



I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfcompetiton.com

Comments

POST YOUR COMMENT

Categories

Subcribe